लेखनी कहानी -06-May-2022 निस्वार्थ सेवा
आज के जमाने में और निस्वार्थ सेवा ?
अच्छा मजाक कर लेती हो, प्रतिलिपि जी
यहां तो बिना स्वार्थ के राम राम तक नहीं करता कोई
और तुम निस्वार्थ सेवा की बात करती हो , हरजाई
जब तक स्वार्थ है, आदर सत्कार है
मान मनौव्वल है, स्नेह, वात्सल्य, दुलार है
निस्वार्थ सेवा यहां कोई नहीं करता है
किसी के लिये ना कोई जीता है ना मरता है
निस्वार्थ सेवा में भी कहीं न कहीं स्वार्थ छुपा है
समाज में प्रतिष्ठित होने का लालच घुसा है
कहने को तो कहते हैं कि
मां बाप निस्वार्थ सेवा करते हैं
अगर यह सच है तो फिर वे
अपने बच्चों में भेद क्यों करते हैं ?
बेटा उन्हें बुढापे में संभालेगा
इसीलिए उसे पाल पोष कर बड़ा करते हैं
मगर बेटी तो "पराया धन" होती है
इसीलिए वह छुप छुप के रोती है
अगर ये सच नहीं है तो बताइए कि
"दुधारू गाय की तो दो लात भी सहन करनी पड़ती है"
इस कहावत की जरूरत क्यों पड़ी ?
क्योंकि स्वार्थ की नींव पर ही "आशा" रूपी मीनार है खड़ी
बस, यही सत्य है बाकी सब मिथ्या है
स्वार्थ के वशीभूत होकर लोग कर रहे रिश्तों की हत्या है
यदि मां बाप निस्वार्थ सेवा करते
तो संतान द्वारा उपेक्षा करने पर उन्हें गालियां क्यों बकते ?
और रही पत्नी के प्यार की बात ?
द्रोपदी के पांच पति थे,
मगर क्या उसने सबके साथ एक जैसा प्यार किया ?
किसी को कम या किसी को ज्यादा महत्व क्या नहीं दिया ?
निस्वार्थ सेवा की बात करने वाले बहरूपिये होते हैं
निस्वार्थ सेवा रूपी जाल फैलाकर लोगों को ठगते हैं
अब तो सरकारें भी निस्वार्थ भाव से कुछ नहीं करती
सारे फैसले वोटों को ध्यान में रखकर हो तो हैं करती
जब जब संकट आता है, तब तब भगवान याद आते हैं
वर्ना तो वे महज काल्पनिक ही माने जाते हैं
स्वार्थ के कारण ही लोग भगवान के दर पर हैं जाते
जितना बड़ा काम उतना बड़ा प्रसाद हैं चढाते
कोई बिरला संत, फकीर ही निस्वार्थ सेवा करता है
वर्ना तो निस्वार्थ सेवा रूपी आईने में
स्वार्थ का ही अक्स झलकता है ।
हरिशंकर गोयल "हरि"
6.5.22
Haaya meer
06-May-2022 05:30 PM
👌👌👌
Reply
Hari Shanker Goyal "Hari"
06-May-2022 07:58 PM
🌻🌻🙏🙏
Reply
Muskan khan
06-May-2022 05:12 PM
Very nice
Reply
Hari Shanker Goyal "Hari"
06-May-2022 07:58 PM
🌻🌻🙏🙏
Reply
Sachin dev
06-May-2022 04:59 PM
Nice
Reply
Hari Shanker Goyal "Hari"
06-May-2022 07:58 PM
🌻🌻🙏🙏
Reply